CAA Full Form in Hindi | What is the Full Form of CAA in Hindi
दोस्तों आप में से कई लोग ऐसे होंगे जिनके मन में CAA क्या होता है (What is CAA),CAA का फूल फॉर्म क्या होता है (CAA Full Form in Hindi), CAA के फायदे क्या हैं (Advantage of CAA) ,CAA की आवश्यकता क्यों है (Why is CAA Required), जैसे सवाल उत्पन्न होते हैं और अगर आप भी CAA से जुड़े इन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
नागरिकता संशोधन विधेयक यानी “सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट” (Citizenship Amendment Act),एक ऐसा कानून जिसने ना सिर्फ भारत की राजनीति बल्कि कानून व्यवस्था को भी हिला कर रख दिया। एक ऐसा कानून जिसे लेकर पूरे देश में प्रदर्शन किया गया।इस कानून के पारित होने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्व और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन और विरोध की एक लहर शुरू हो गई।
पूरे देश में उपद्रवियों ने इस कानून के खिलाफ हंगामा मचाया। जितना राजनीतिक विरोध इस कानून का हुआ शायद ही किसी कानून का हुआ होगा।इस कानून का विरोध करने वाले इसे गैर संवैधानिक बता रहे थे जबकि सरकार का कहना था कि इस कानून का कोई भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की अवहेलना नहीं करता है।
वहीं दूसरी तरफ इस कानून के जरिए सरकार पर धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप भी लगा लेकिन सरकार का कहना था कि इस कानून का किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से कोई भी लेना देना नहीं है।
CAA का पूरा मतलब क्या है? What is the Full Form of CAA in Hindi?
अगर CAA की फूल फॉर्म की बात की जाए तो वो होता “सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट” (Citizenship Amendment Act) और हिंदी में इसे “नागरिकता संशोधन अधिनियम” कहा जाता हैं।
CAA या CAB?
दोस्तों कई लोगों के मन में इस बात को लेकर थोड़ा सा कंफ्यूजन है की इस कानून को CAA कहते हैं CAB तो पहले मैं इसे क्लियर कर देता हूं, दोस्तों संसद में पास होने से पहले इसे सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल (Citizenship Amendment Bill) कहां जाता था।फिर संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा से पास होने और राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह एक कानून बन गया है और अब इसे नागरिक संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) कहा जाता है।
CAA क्या है? What is CAA in Hindi?
नागरिकता संशोधन बिल यानी CAA धर्म के आधार पर, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सताई गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का एक कानून है।इस कानून के अंतर्गत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रहने वाले के हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है।
बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संविधान के अनुसार यह देश एक विशेष धर्म के लोगों के लिए ही है।जिस कारण इन देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को कई बार धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इन देशों में रहने वाले अधिकांश अल्पसंख्यकों के लिए भारत को छोड़कर उन्हें आश्रय देने वाला अन्य कोई देश नहीं है।
ऐसा नहीं है की सिर्फ सताए गए अल्पसंख्यकों को ही इस कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी बल्कि जो अल्पसंख्यक अपनी खुद की मर्जी से या किसी और वजह से भी भारत में आश्रय लेना चाहता है उसे भी इस कानून के तहत नागरिकता दी जा सकती है बशर्ते वह व्यक्ति इस कानून से जुड़े सभी नियमों का पालन करें।
नागरिकता कानून 1955 क्या है? What is the Citizenship Act 1955?
नागरिकता कानून, 1955 का संबंध भारतीय नागरिकता अधिग्रहण और नागरिकता तय करने के लिए है।भारत के संविधान के साथ ही नागरिकता कानून, 1955 में भारत की नागरिकता से संबंधित विश्व कानून है।किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 5 से 11(पार्ट-II) में प्रावधान किए गए हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 क्या था? What was the Citizenship Amendment Bill 2016?
नागरिकता कानून 1955 में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को पेश किया गया था।यह विधेयक 19 जुलाई 2016 को संसद में पेश किया गया था। इसमें भारत के तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से अवैध रूप से भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान था।
12 अगस्त सन 2016 को इस विधेयक को संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया था। संयुक्त संसदीय कमेटी ने गहन चर्चा के बाद 7 जनवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी 2019 को इस विधेयक को लोकसभा से पारित करवा लिया गया।लेकिन उस समय यह विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं हो पाया था।फिर कुछ समय बाद इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से फिर से पेश किया गया।
नागरिकता विधेयक को 2019 में फिर से संसद में क्यों पेश करना पड़ा? Why did the Citizenship bill have to be tabled in Parliament again in 2019?
संसदीय प्रक्रियाओं और नियम के मुताबिक अगर कोई विधायक लोकसभा में पास हो जाता है लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाता और लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है यानी उस विधेयक को फिर से संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा पास करवाना होता है।
वहीं राज्यसभा से संबंधित नियम अलग है।अगर कोई विधेयक राज्यसभा में लंबित हो और लोकसभा से पास नहीं हो पता और लोकसभा भंग हो जाती है तो वह विधायक निष्प्रभावी नहीं होता है। क्योंकि यह विधेयक राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था।
इसी बीच 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया, इसीलिए इस विधेयक को फिर से दोनों सदनों में पास करवाना पड़ा।जैसे ही यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास हो गयातो फिर इसे राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही इसने का कानूनी रूप ले लिया।
पूर्वोत्तर के लोगों का इस पर क्या कहना है? What do the people of the Northeast have to say on this?
नागरिकता संशोधन कानून पर पूर्वोत्तर में रहने वाले एक बड़े वर्ग का कहना था कि अगर नागरिकता संशोधन कानून 2019 लागू किया जाता है तो पूर्वोत्तर के मूल नागरिकों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो जाएगा जिससे वहां रहने वाले मूल नागरिकों को कई प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ेगा।
CAA और NRC में क्या अंतर है? What is the difference between CAA and NRC?
नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में बवाल मचा हुआ था।इसका विरोध करने वाले इसे गैर संवैधानिक बता रहे थे जबकि सरकार का कहना था कि इसका एक भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की किसी भी तरह से अवहेलना नहीं करता।वही इस कानून के जरिए धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोपों पर सरकार का कहना था कि इसका किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से कोई लेना देना नहीं है।
हालांकि इन कुल जनों के बीच ही देशभर में प्रदर्शन होने लगे और कई जगह पर इस ने हिंसक रूप भी अख्तियार कर लिया था।दरअसल कई प्रदर्शनकारियों को लग रहा था कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छीन जाएगी जबकि सरकार ने कई बार साफ कर दिया था कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है ना की नागरिकता छीनने के लिए।सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक बड़ी आबादी को CAA और NRC में अंतर के बारे में ठीक से नहीं पता।आइए जानते हैं इन दोनों में अंतर क्या है:
- नागरिकता संशोधन कानून (CAA) में कुल 6 धर्मों के अल्पसंख्यक विदेशी नागरिक को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।जबकि NRC का मकसद उन लोगों की पहचान करना है जो भारत के नागरिक नहीं है लेकिन फिर भी भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं।
- नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के अंतर्गत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों फिर चाहे वह हिंदू हो, सीख हो, ईसाई हो, बौद्ध हो, जैन हो या पारसी हो इन सभी धर्म के लोगों को नागरिकता देने के नियमों में ढील दी गई है जबकि NRC के अंतर्गत 25 मार्च 1971 से भारत में रह रहे लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
CAA की आवश्यकता क्यों है? Why is CAA Required?
जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत के लोग पूरी दुनिया में बसे हुए हैंऔर उनमें से कई लोग ऐसे देश में रहते हैं जहां पर उन पर धार्मिक आधार पर भेदभाव या कहें तो अत्याचार भी किया जाता है। उन्हीं में से कई लोग इतने प्रताड़ित हो चुके हैं कि वह उस देश को अभी का अभी छोड़ देना चाहते हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी यह समस्या आती है जाए भी तो कौन से देश में जाए।
वे लोग अगर भारत भी आने की सोचते हैं तो पहले के कानून के मुताबिक उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उन्हें भारत की नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल यहां रहना होगा जो कि एक असंभव सी बात थी।यही कारण था कि भारत सरकार ने विदेशों में बसे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस कानून में कुछ जरूरी बदलाव किए और इसे संसद से पारित भी करवाया। यही कारण था कि इस कानून की आवश्यकता बहुत बढ़ गई थी।
CAA को लेकर प्रदर्शन क्यों हो रहे थे? Why were there demonstrations about CAA?
विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध यह था कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।उनका तर्क यह था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।विपक्ष का यह भी आरोप था कि सरकार असम के उन हिंदुओं को बचाने के लिए CAA कानून को ला रही है जिनका नाम NRC के अंतिम सूची में शामिल नहीं है।
ऐसा लग रहा था कि लोग केवल अफवाहों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। लोगों को CAA कानून से किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है लेकिन जब इसे NRC के साथ जोड़कर देखा जाता है तो यह एक विशिष्ट समुदाय के लोगों के लिए दुखद लगता है।लोग सोच रहे हैं कि CAA के कारण NRC मुस्लिमों के अलावा एनआरसी में शामिल सभी लोगों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
इसीलिए इस कानून से भारत में रह रहे मुसलमानों को किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है और ना ही होगा साथ ही साथ इसे NRC के साथ जोड़कर बिल्कुल भी नहीं देखना चाहिए जोकि अभी तक पूरे देश में लागू भी नहीं हुई है।
ध्यान रहे कि सिर्फ असम में ही एनआरसी लिस्ट तैयार हुई है। सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लागू करने की बात कर रही है उसके प्रावधान अभी भी तय नहीं हुए हैं।पूरे देश में एनआरसी को लागू करने के लिए सरकार को अभी भी लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार को एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। इसके बाद इस दस्तावेज को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा यानी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही एनआरसी एक्ट अस्तित्व में आएगा।
क्या CAA कानून का भारत के मुसलमानों पर असर पड़ेगा?Will the CA law affect the Muslims of India?
भारत के गृह मंत्रालय ने यह पहले ही साफ कर दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का भारत के किसी भी धर्म के किसी भी नागरिक से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है।इस कानून के अंतर्गत उन गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में शरण लेना चाहते हैं या फिर पहले से ही शरणार्थी के रूप में भारत में रह रहे हैं।इस कानून के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 तक इन 3 देशों से भारत आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी यानी इस कानून का भारत में रह रहे मुसलमानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
CAA में कौन-कौन से धर्म शामिल हैं? Which religions are included in CAA?
इस कानून के अंतर्गत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रहने वाले के हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है।
अब नए कानून में क्या क्या प्रावधान है? Now, what is the provision in the new law?
नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत बांग्लादेश अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध समुदाय धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाया गया है ताकि इन देशों से आए शरणार्थियों या प्रवासियों को कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।
इस कानून से पहले बाहर से आए किसी भी नागरिक को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल यहां रहना अनिवार्य था जो कि काफी लंबा समय था।
इसी को देखते हुए भारत सरकार ने नियमों को आसान बना कर नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 साल से लेकर 6 साल कर दिया यानी यानी ऊपर दिए गए 6 धर्मों के बीते 1 से 6 सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी।
अगर आसान शब्दों में इस कानून की बात की जाए तो भारत के 3 मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियमों को आसान बनाया गया है।
CAA का निष्कर्ष (Conclusion of CAA):
नागरिकता कानून लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद कानून बन चुका है।आज यह कानून पूरे भारत में लागू है।अगर इस कानून को मानवता के आधार पर देखा जाए किसी भी प्रताड़ित व्यक्ति को भारत की नागरिकता देना बिल्कुल भी गलत नहीं लगता।
यह लेख पूरी तरह मेरी निजी राय है इस लेख को सिर्फ इसीलिए लिखा गया है ताकि लोगों को CAA और NRC के बारे में बताया जा सके इसके अलावा इस लेख का और कोई मतलब नहीं है।अगर इस लेख से किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की समस्या है तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं और मैं पूरी कोशिश करूंगा आपकी समस्या का समाधान करने का।
दोस्तों आशा करता हूं CAA Full Form in Hindi से जुड़ी यह जानकारी आप लोगों को पसंद आई होगी अगर ये पोस्ट आपको अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों को शेयर और कमेन्ट जरूर करें और अगर आपके पास कोई सुझाव हैं तो हमें जरूर कमेन्ट सेक्शन में लिखकर बताएं। अगर आप भी किसी फूल फॉर्म के बारे में जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।
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