ROM Full Form in Hindi, Meaning, Types, Use
दोस्तो आप में से कई लोग ऐसे होंगे जो यह सोचते होंगे की रोम (ROM) होता क्या है, रोम (ROM) का पूरा मतलब क्या होता है,रोम (ROM) कितने प्रकार के होते हैं, रोम (ROM) की परिभाषा क्या होती है, रोम (ROM) का उपयोग कहां कहां होता है,रोम (ROM) के फायदे क्या है,रोम (ROM) का आविष्कार किसने किया, तो आपके इन्हीं सवालों का जवाब आज मैं लेकर आया हूं तो दोस्तों आइए जानते हैं रोम (ROM) के बारे में पूरी डिटेल में।
ROM का पूरा मतलब (ROM Full Form in Hindi):
ROM का पूरा अर्थ होता है रीड ओन्ली मेमोरी (Read Only Memory)
ROM की परिभाषा (Definition of ROM in Hindi):
रोम (ROM) मुख्य रूप से कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों में उपयोग किया जाने वाला Non- Volatile, Permanent Memory का एक प्रकार है। रोम (ROM) स्टोर किए गए किसी भी प्रकार के डाटा को धीरे-धीरे बदला जा सकता है रोम (ROM) को मुख्य रूप से फर्मवेयर को इकट्ठा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
रोम (ROM) पर्सनल कंप्यूटर के साथ-साथ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में मौजूद मदरबोर्ड या सर्किट बोर्ड के साथ स्थाई रूप से जुड़ा होता है। रोम (ROM) के अंदर पहले से ही प्रोग्रामिंग तो रहती है जिसके द्वारा हम किसी भी उपकरण को प्रारंभ और नियंत्रण आदि कर सकते हैं। रोम (ROM) के अंदर मौजूद डाटा को केवल रीड (Read) किया जा सकता है और उसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना संभव नहीं होता।
रोम (ROM) मेमोरी को हम और आप सिर्फ पढ़ सकते हैं लेकिन उस पर किसी भी प्रकार से लिखना संभव नहीं है। किसी भी कंप्यूटर को शुरू करने के लिए रोम (ROM) ऐसे निर्देशों को संग्रहित करता है जो कंप्यूटर को स्टार्ट करने के लिए आवश्यक होते हैं। रोम (ROM) द्वारा किए गए इस कार्य को बूटस्ट्रैप (Bootstrap) कहां जाता है। रोम (ROM) का उपयोग सिर्फ मोबाइल और कंप्यूटर में ही नहीं बल्कि माइक्रोवेव और वाशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी किया जाता है।
ROM के प्रकार (Types of ROM in Hindi):
रोम (ROM) मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है:
एमरोम MROM: इसका पूरा मतलब होता है मास्क्ड रीड ओन्ली मेमोरी (Masked Read Only Memory) इस तरह के रोम (ROM) का उपयोग बहुत पहले किया जाता था। वर्तमान समय में इस प्रकार के रोम (ROM) का उपयोग बिल्कुल भी नहीं होता। यह रोम (ROM) का सबसे पुराना वर्जन (Version) है। इस प्रकार के रोम (ROM) मैं पहले से डाटा को स्टोर करके तो रखा जा सकता था लेकिन बाद में उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव करना या अपडेट करना संभव नहीं था। यही कारण है कि इस प्रकार के रोम (ROM) का उपयोग वर्तमान समय में नहीं किया जाता।
पीरोम PROM: इसका पूरा मतलब होता है प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Programmable Read Only Memory) इस तरह के मेमोरी में डाटा को केवल एक बार राइट (Write) करके रखा जा सकता है,जो हमेशा के लिए स्टोर रहता है।
इस प्रकार के रोम (ROM) मैं बहुत छोटे-छोटे फ्यूज लगे होते हैं, जिसमें निर्देशों (Instructions) डाला जाता है इस कार्य को भी प्रोग्रामिंग के जरिए ही किया जाता है।
इसमें सबसे पहले यूजर ब्लैंक रोम (Blank ROM) खरीदता है और खुद के हिसाब से उसमें प्रोग्रामिंग से जुड़े निर्देशों और कार्यक्रमो (Instruction or Program) को डालता है।
पीरोम PROM डाटा को राइट करने के लिए कुछ विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिसे पीरोम प्रोग्रामर ( PROM Programmer) या पीरोम बर्नर ( PROM Burner) कहा जाता है और पीरोम (PROM) मैं डाटा राइट करने के प्रोसेस को पीरोम बर्निंग (PROM Burning) कहा जाता है।
इपीरोम EPROM: इसका पूरा मतलब होता है इरेजेबल एंड प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Erasable and Programmable Read Only Memory) इस प्रकार के रोम (ROM) मैं मौजूद डाटा को किसी भी समय मिटाया भी जा सकता है। इस तरह के रोम (ROM) मैं मौजूद डाटा को मिटाने (Erase) करने के लिए UV Rays यानी (Ultraviolet Rays) की जरुरत पड़ती है। लगातार 40 मिनट तक Rays से गुजारने के बाद इसमें मौजूद डाटा पूरी तरह मीट (Erase) जाता है और हम फिर से उसमें निर्देशों और कार्यक्रमो (Instruction or Program) को डाल सकते हैं।
ईईपीरोम EEPROM: इलेक्ट्रिकली इरेजेबल एंड प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Electrically Erasable and Programmable Read Only Memory) इस प्रकार के रोम (ROM) को कई बार मिटाया (Erase) किया जा सकता है और फिर से बिल्कुल नए डाटा (Data) को डाला जा सकता है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड से अच्छी तरह से जुड़ा होता है तथा इसमें मौजूद किसी भी प्रकार के डाटा (Data) को हम आसानी से रीड (Read) कर सकते हैं साथ ही साथ मिटा (Erase) सकते हैं और इसे दोबारा प्रोग्राम (Programme) भी कर सकते हैं।
इस प्रकार के रोम (ROM) मैं मौजूद डाटा को मिटाने (Erase) के लिए जरूर ही नहीं कि हम पूरी की पूरी चिप को खाली कर दें हम अपनी जरूरत के मुताबिक जगह (Location) को चुन (Choose) कर मिटा (Erase) और प्रोग्राम (Programme) कर सकते हैं।
ROM का उपयोग (Use of ROM):
चलिए रोम (ROM) के उपयोग को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं मान लीजिए आप एक मोबाइल की दुकान में जाते हैं और वहां से एक 6GB रैम (RAM) और 64GB इंटरनल स्टोरेज (Internal Storage) वाला एक मोबाइल खरीदते हैं अब जो 6GB है वह तो आपकी रैम। अब जो 64GB इंटरनल स्टोरेज (Internal Storage) है वह आपका रोम (ROM) हो गया। जिसमें आप अपनी फाइल, म्यूजिक, वीडियो और फोटो रखते हैं। यानि यह आपके फाइल, म्यूजिक, वीडियो और फोटोज को सिर्फ रीड(Read Only) करता है। इसे सरल शब्दों में कहो तो आपके मोबाइल की इंटरनल स्टोरेज (Internal Storage) ही रोम (ROM) कहलाती है।
ROM के फायदे (Advantage of ROM in Hindi):
- रोम (ROM) की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह एक स्थाई ( Permanent) मेमोरी होती हैं।
- यह रैम (RAM) के मुकाबले काफी सस्ता होता है।
- रोम (ROM) को बार-बार रिफ्रेश (Refresh) करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ती क्योंकि यह पूरी तरह स्थिर मेमोरी होती है।
- इसमें किसी भी तरह के प्रोग्राम को स्थाई रूप से रखा जा सकता है यानी यह स्थिर (Non Volatile) प्रकृति का होता है।
- यह रैम (RAM) के मुकाबले ज्यादा भरोसेमंद होता है क्योंकि रैम (RAM) मैं डाटा तभी तक मौजूद रहते हैं जब तक पावर सप्लाई होती रहती है।
- इसमें मौजूद डाटा अपने आप कभी नहीं बदलते जब तक कि आप उसे ना बदले।
- इसमें पहले से ही बुनियादी निर्देश (Basic Functionality) मौजूद रहते हैं।
दोस्तों आशा करता हूं ROM Full Form in Hindi से जुड़ी यह जानकारी आप लोगों को पसंद आई होगी अगर ये पोस्ट आपको अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों को शेयर और कमेन्ट जरूर करें और अगर आपके पास कोई सुझाव हैं तो हमें जरूर कमेन्ट सेक्शन में लिखकर बताएं।यदि आपका इससे सम्बंधित कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं , हम आपके सवालों के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।
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